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Director's Desk

एवीपी  पी जी - महिला महाविद्यालय की  स्थापना  श्रद्देय  दादाजी स्व. श्री के एम. उपाध्याय जी के कर कमलों  द्वारा सन  200 3 में हुयी । अंचल के अभिभावकों एवं विद्यार्थियों  के लिए श्रद्देय दादाजी के आशीर्वाद से घर बैठे गंगा आयी । विद्यार्थियों को नगर  के मध्य में ही एक सुसज्जित  सुव्यवस्थित एबं अनुशासित, उच्च शिक्षा का केन्द्र  सुलभ हो गया । सबसे अधिक फायदा उन विधार्थियो  को हुआ "जो राजकीय महाविद्यालय में प्रवेश से वचित रहते थे, उन्हें अध्ययन के लिए काफी खर्च  उठाकर घर छोड़कर बाहर जाना  होता था । छात्राओं को भी उच्च शिक्षा का केन्द्र  सुलभ  होने पर  लाभ मिला, जिनके अभिभावक पढाई बन्द करवा देते थे या उन्हें बहार पढ़ने के लिए भेजने में सक्षम नहीं होते थे । खास अनुभव यह आया कि राजकीय महाविद्यालय में मैरिट से प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के मुकाबले हमारे उन विद्यार्थियों के परिणाम तुलनात्मक दृष्टि से बहुत जानदार रहे, जे मेरिट से राजकीय महाविद्यालय में प्रविष्ट नहीं को पाते  थे और एवीपी  महाविद्यालय में जिन्होंने अध्ययन किया । इसका श्रेय महाविद्यालय के विद्वान प्रवक्ताओं, अनुशासन एवं बेहतर प्रबन्धन को जाता है 1   विगत के ग्यारह वर्षो से संस्थान से निकले खासतौर से अंग्रेजी साहित्य के विद्यार्थियों ने पुरे क्षेत्र की  शिक्षा व्यवस्था को समुचित रुप से संचालित करने में अहम् भूमिका  निभाकर संस्थान को  गौरवान्वित किया है । सभी राजकीय एवं

निजी शिक्षण संस्थानों  में इस शिक्षण संस्थान से निकले विद्यार्थियों पर ही अंग्रेजी, गणित एवं विज्ञान  जैसे विषयों के अध्यापन का दारोमदार रह गया है, जिससे पूरे क्षेत्र में बोर्ड परिक्षाओं के परिणामों में आशातीत सुधार हुये है । संस्थान से निकले सैकड़ो  स्कॉलर चाहे गेस्ट  फैकल्टी में कार्य कर रहे हों या कोचिंग चला रहे हो या अपना स्वयं का संस्थान चला रहें को या अन्य किसी संस्थान में सेवाऐं दे रहे हो  उन्होंने खासतौर से इन तीन विषयों में विद्यार्थियों के पिछडे हुये स्तर के उन्नयन में खासी भूमिका अदा की  है एवं कर रहे है । उपलब्धियों भरे  गयारह सत्रों  के विधार्थियो के परिणाम कीर्तिमान बन गए है | इसी से उत्साहित होकर महाविदलया को स्नातकोत्तर (P.G) का स्वरूप प्रदान किया गया है   जिसमे हिंदी ,इतिहास , भूगोल , राजनीति शास्त्र संस्कृत में एम ए पाठ्य कर्म शामिल है  कंप्यूटर पाठ्यक्रमों के अंतर्गत  विश्वविधालय द्वारा P.G.D.C.अ की मान्यता भी प्रदान की हुई है  सब  कछ अच्छा है लेकिन फिर भी कुछ विकृतिया  समानांतर रूप से आती जा रही ह | राज्य सरकार को शिक्षा प्रसार की  गैर नियोजित  सोच ने भी  समस्याएं उतपन्न की है | कुंकुरमुत्ते की तरह संस्थाओ का पैदा होना ओंर बिना किसी  शैक्षिक प्रबंधन  वातावरण, संस्थाओं को ऐसे लोगो द्वारा सञ्चालन  किया  जाना जिनका शिक्षा से दूर दूर तक कोई सरोकार नही रहा ,वे विधार्थियो को प्रवेश देकर . नियमित  दिखाकर परीक्षा में सिर्फ डिग्री दिलाने भर के लिए  परियोजना का  संचालन किये होते है, इससे शिक्षा का जो मूलभूत उद्देश्य  संस्कार निर्माण का, नैतिक मूल्यों को सीख का, किंचित मात्र भी पूरा नहीं होता  फिर   भी इस सब  यथार्थ से परे रहकर हम अपने इस कार्य कौ मिशन के रूप  में करने क्रो कृत संकल्प है । हमारा निरन्तर प्रयास है कि विद्यार्थी पूर्णकालिक रूप से नियमित अध्ययनरत रहकर समग्र व्यक्तित्व के विकास के लिए सभी  प्रकार की शेक्षिक , सहशैक्षिक गतिविधियों में भागीदार बने । नयी  अवांछित रुप से विकसित होती संस्कृति के दुष्प्रभावों से बचकर संस्कारों से पूर्ण विनम्रता, सहकारिता जैसे सदगुणों का विकास हो श्रम, समय, साधन एवं प्रतिभा का रचनात्मक नियोजन हो, व्यसनों से मुक्त स्वालम्बी जीवन का निर्माण  हो जिससे हमारी युवा शक्ति की प्रतिभा और पुरुषार्थ का राष्ट्र के समग्र विकास में भरपूर  योगदान हो सके । अभी बहुत कुछ आगे चलना है हम सब मिलकर इस "मिशन" को बेहतर रुप से आगे बढाये, आप सुझाव दे, सहयोग करे, सक्रिय रुप से जुड़े |

ऐसी आशा, अपेक्षाओं के साथ आपका अपना ...

इंजी . विनीत उपाध्याय

प्रबन्ध निदेशक
एवीपी  समूह, लालसोट 

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